हाई कोर्ट का आदेश (2025) : मेधावी छात्र योजना का लाभ संवैधानिक।



👂निजी मेडिकल कॉलेजों में मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना पर याचिका दायर: 👉जवाबदेह हाईकोर्ट।

👉मध्य प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेज की ओर से एक याचिका दायर की गई है। जिसमें कि राज्य सरकार की मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना को पूरी तरह से बाध्यकारी घोषित करने की चुनौती दी गई है। दलील की गई है कि कमजोर वर्ग के छात्रों का राज्य शासन द्वारा निजी संस्थानों में तो प्रवेश कर दिया जाता है। परंतु उनका शिक्षण शुल्क सरकार समय पर नहीं दे पाती। और कई बार तो संस्थाओं को कई वर्ष तक यह भुगतान नहीं दिया जाता। जिसके कारण निजी मेडिकल कॉलेज के संस्थानों को वित्तीय दिक्कतों से जूझना पड़ता है। याचिकाकर्ताओं की ओर से इस योजना को असंवैधनिक  और अनुचित बताया गया है। जिस पर कि मध्य प्रदेश 👍हाई कोर्ट के  मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन ने निजी मेडिकल कॉलेज में जो लागू हुई मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना को पूरी तरह से संवैधानिक बताया है। हाई कोर्ट ने यह पूरी तरह से स्पष्ट किया कि यदि इस योजना के तहत समाज के जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग है। वह गरीब छात्र यदि मुफ्त में शासन के द्वारा शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। तो उसे असंवैधानिका या अनुचित नहीं ठहराया जा सकता है। जिसके लिए की हाई कोर्ट ने कुछ फीस भुगतान के दिशा निर्देश जारी किए हैं।🙏

महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश👇 

कोर्ट ने ऐसे छात्रों की फीस के भुगतान के लिए कुछ दिशा निर्देश जारी किए हैं। जिसमें कि निम्न आय परिवार के नीट (NEET) उत्तीर्ण छात्रों के प्रवेश लेने के तीन माह के भीतर ही शासन उनकी पूरी वार्षिक फीस का भुगतान कर देंगे। यह राशि संस्थान के खाते में नहीं बल्कि छात्र व संस्थान के संयुक्त खाते में जमा होगी। यह खाता छात्र के आधार पैन आदि से लिंक होगा। ताकि एक छात्र के नाम पर दो बार फीस जमा नहीं हो पाए।और कोर्ट ने यह भी कहा है, कि यदि कोई छात्र किसी सत्र में अनुत्तीर्ण होता है। तो शासन उसकी छात्रवृत्ति रोक नहीं सकता। निजी संस्थाओं की जिम्मेदारी होगी, कि वह योजना के तहत प्रवेश लेने वाले छात्रों की पूरी जानकारी सरकार को भेजे। ताकि समय पर फीस जमा हो सके।

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